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Showing posts from August, 2018

Sc/st act एक गंभीर विषय

देश की आजादी के बाद नीति निर्माताओं ने संविधान बनाते समय आने वाले भारत की स्थिति के बारे में गहन चिंतन,मनन के बाद अनेक नियमों कानूनों से संविधान को परिपूर्ण किया ।जिसके माध्यम से यह कल्पना की गयी की देश के हर तबके को अपना सर्वांगीण विकाश करने का अवसर मिलेगा।कोई अछूता न होगा,कोई नीच न होगा ,कोई स्त्री किसी किसी पुरुष द्वारा सताई न जाएगी ,कोई गरीब बिना खाये नहीं मरेगा,बच्चा बच्चा विद्यालय जाएगा देश का हर स्तर पर विकाश होगा और सबको बराबर न्याय मिलेगा ,कुलमिलाकर एक मजबूत /स्वस्थ/खुशहाल भारत का निर्माण होगा ।इसी संविधान में देश के हर नागरिक को बराबर का हक दिया गया और दबे, कुचले,पिछड़े लोगों के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान किया गया जिससे ये भी विकास की मुख्य धारा में आ सकें क्योंकि पूरा देश अपना समाज है और देश में कोई भी दुःखी रहेगा तो हमको दुःख होना चाहिए । संविधान बना सारे नियम कानून लागू किये गए किन्तु यह भारतीय लोकतंत्र/कानून की असफलता ही माना जाएगा कि 1955 के 'प्रोटेक्शन आफ सिविल राइट्स एक्ट' के बावजूद सालों तक दलितों पर होने वाले अत्याचार और अश्पृश्यता खत्म न हुई अतः ये देखते ह...

कुम्भ नगरी प्रयागराज: एक स्वर्णिम इतिहास

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इलाहाबाद का नाम ही अपने आप में बहुत बड़ा परिचय है जिसे भारत ही नहीं पूरे विश्व में पहचान मिली है। अब तो इसने अपना पुराना गौरव विश्व सांस्कृतिक धरोहर प्रयागराज के रूप में भी प्राप्त कर लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका नाम पुनः प्रयागराज रख दिया । हालांकि इलाहाबाद के रूप में भी इसने भारतवर्ष को बहुत कुछ दिया और विश्व में अपना स्थान स्थापित किया। कुंभ नगरी/संगम नगरी/ प्रधानमंत्रियों का शहर/ आदि नामों से जाना जाने वाला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष की राजनीति में अपना विशेष स्थान रखता है । अनेक बड़े क्रांतिकारी नेता यहाँ से निकले जिन्होंने विभिन्न पार्टियों ,संगठनों में अपना प्रमुख स्थान बनाया है। यह क्षेत्र पूर्व से मौर्य  एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुषाण साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। 1526 में मुगलों के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहद किले निर्माण करवाया था। इस किले में 93 महर, 3 झरोखा,25 दर...

धर्मनिरपेक्ष बापू ने भी चखा मुश्लिम कट्टरता का स्वाद,मौलाना मोहम्मदअली ने दिया जख्म

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के माहनायक तिलक के बाद गाँधी के युग का पदार्पण हुआ और वास्तव में गाँधी ने पूरे देश में अद्भुत समर्थन प्राप्त किया ।देश का बड़े से बड़ा नेता गाँधी ज...