कुम्भ नगरी प्रयागराज: एक स्वर्णिम इतिहास
इलाहाबाद का नाम ही अपने आप में बहुत बड़ा परिचय है जिसे भारत ही नहीं पूरे विश्व में पहचान मिली है।
अब तो इसने अपना पुराना गौरव विश्व सांस्कृतिक धरोहर प्रयागराज के रूप में भी प्राप्त कर लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका नाम पुनः प्रयागराज रख दिया ।
हालांकि इलाहाबाद के रूप में भी इसने भारतवर्ष को बहुत कुछ दिया और विश्व में अपना स्थान स्थापित किया।
कुंभ नगरी/संगम नगरी/ प्रधानमंत्रियों का शहर/ आदि नामों से जाना जाने वाला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष की राजनीति में अपना विशेष स्थान रखता है ।
अनेक बड़े क्रांतिकारी नेता यहाँ से निकले जिन्होंने विभिन्न पार्टियों ,संगठनों में अपना प्रमुख स्थान बनाया है।
यह क्षेत्र पूर्व से मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुषाण साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। 1526 में मुगलों के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहद किले निर्माण करवाया था।
अब तो इसने अपना पुराना गौरव विश्व सांस्कृतिक धरोहर प्रयागराज के रूप में भी प्राप्त कर लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका नाम पुनः प्रयागराज रख दिया ।
कुंभ नगरी/संगम नगरी/ प्रधानमंत्रियों का शहर/ आदि नामों से जाना जाने वाला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष की राजनीति में अपना विशेष स्थान रखता है ।
अनेक बड़े क्रांतिकारी नेता यहाँ से निकले जिन्होंने विभिन्न पार्टियों ,संगठनों में अपना प्रमुख स्थान बनाया है।
यह क्षेत्र पूर्व से मौर्य एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुषाण साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। 1526 में मुगलों के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहद किले निर्माण करवाया था।
इस किले में 93 महर, 3 झरोखा,25 दरवाजें, 277 इमारतें, 176 कोठियाँ 77 तहखानें व 20 अस्तबल और 5 कुएं हैं। अकबर ने ही प्रयागराज से बदलकर इस शहर का नाम इलाहाबाद रखा। यहाँ पर मराठों के आक्रमण भी होते रहे थे। इसके बाद यह अंग्रेजों के अधिकार में आ गया।
1765 में इलाहाबाद के किले में थल-सेना के गैरीसन दुर्ग की स्थापना की गई। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में इलाहाबाद भी सक्रिय रहा।कांग्रेस पार्टी के तीन अधिवेशन यहाँ पर 1888, 1892 और 1910 में क्रमशः जार्ज यूल, व्योमेश चन्द्र बनर्जी और सर विलियम बेडरबर्न की अध्यक्षता में हुए।
1931 में इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद शहीद हुए थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दिनों में नेहरु परिवार के पारिवारिक आवास आनन्द भवन एवं स्वराज भवन यहां भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राजनीतिक गतिविधियों के केन्द्र रहे थे।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु प्रयाग निवासी ही थे।
मदन मोहन मालवीय, मोती लाल नेहरू, अकबर इलाहाबादी , इंदिरा गांधी, धर्मवीर भारती (हिन्दी लेखक), ध्यानचंद(हॉकी खिलाड़ी), पुरुषोत्तमदास टंडन ( राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी), फिराक गोरखपुरी (उर्दु कवि), मणीन्द्र अग्रवाल (संगणक वैज्ञानिक), महादेवी वर्मा (कवयित्री एवं लेखिका), मुरली मनोहर जोशी (राजनीतिज्ञ, पूर्व कैबिनेट मंत्री), मुहम्मद कैफ (क्रिकेट खिलाड़ी), मृगांक सूर (बोध वैज्ञानिक), रामकुमार वर्मा (हिन्दी कवि), विभूतिनारायण राय (लेखक), विश्वनाथ प्रताप सिंह (पूर्व प्रधान मंत्री), वी एन खरे (पूर्व प्रमुख न्यायाधीश, भारत), शुभा मुद्गल (गायिका, हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत), सुमित्रानंदन पंत (हिन्दी कवि), सूर्यकांत त्रिपाठी निराला(हिन्दी कवि), हरिप्रसाद चौरसिया(शास्त्रीय वादक), हरिवंशराय बच्चन (कवि), हरीशचन्द्र(भौतिकशास्त्री, गणितज्ञ), राजेंद्र कुमार(साहित्यकार, आलोचक और समाजशास्त्री) और भी अनेक महापुरुष एवं देश विदेश में कीर्तिमान स्थापित करने वाली प्रतिभाओं का जन्म हुआ है।
भारत के 14 प्रधानमंत्रियों में से 7 का इलाहाबाद से घनिष्ट संबंध रहा है:जवाहरलाल नेहरू,लाल बहादुर शास्त्री,इंदिरा गांधी,राजीव गांधी,गुलजारी लाल नंदा,विश्वनाथ प्रताप सिंह एवं चंद्रशेखर ।
ये या तो यहां जन्में हैं, या इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़े हैं या इलाहाबाद निर्वाचन छेत्र से चुने गए हैं।
हिंदी भाषी इलाहाबाद की बोली अवधी है, हालांकि अधिकांश शहरी क्षेत्र में खड़ी ही बोली जाती है। जिले के पूर्वी गैर-दोआबी क्षेत्र में प्रायः बघेली बोली का चलन है। इलाहाबाद में सभी प्रधान धर्म के लोग निवास करते हैं।
यहां हिन्दू कुल जनसंख्या का 85% और मुस्लिम 11% हैं। इनके अलावा सिख, ईसाई एवं बौद्ध लोगों की भी छोटी संख्या है। इलाहाबाद जिला 2013 की जनगणना के अनुसार 6010249 जो उत्तर प्रदेश का सबसे जनसँख्या वाला जिला हैं।
इलाहाबाद गंगा यमुना और सरस्वती के संगम पर स्थित है। चूकि यहाँ तीन नदियाँ आकर मिलती हैं। अत: इस स्थान को त्रिवेणी के नाम से भी संबोधित किया जाता हैं।
संगम का दृश्य अत्यन्त मनोरम है। स्वेत गंगा और हरित यमुना अपने मिलने के स्थान पर स्पष्ट भेद बनाए रखती हैं अर्थात मात्र द्रिष्टिपात करने से ही यह बताया जा सकता हैं। कि यह गंगा नदी हैं और यह यमुना। संगम किनारे ही लेते हनुमानजी की मंदिर
,शंकर विमान मंडपम,हनुमत निकेतन,सरस्वती कूप,समुद्र कूप,मनकामेश्वर मंदिर,भारद्वाज आश्रम,आदि की धार्मिक दर्शनीय स्थल हैं। इलाहाबाद उच्च न्यायालय का देश में अपना विशेष प्रभाव रहा और इंदिरा गांधी जैसी ताकतवर प्रधानमंत्री को भी कटघरे में खड़े होने को मजबूर किया।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय का शिक्षा, साहित्य, राजनीति, विज्ञान, खेल, कला, प्रसासन आदि हर क्षेत्र में अद्भुत योगदान रहा है और आज भी यहाँ के छात्र देश ही नहीं विदेशों में भी गौरव स्थापित कर रहे हैं।
अंकित मिश्र चंचल

शानदार विवरण ...👌👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद, कृपया फॉलो करें
ReplyDeleteNyc story
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteThanks tripathi ji
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