देशभक्ति सिर्फ व्हाट्सएप, fb स्टेटस, 15 अगस्त और 26 जनवरी पर ही क्यों

जनवरी में हम देश का 70वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। इसी दिन ही 1950 में हमारे देश को अपना संविधान मिला। एक ऐसा संविधान जो हमारे जीने के लिए सभी उपयोगी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाया गया। एक ऐसा संविधान जिसके अनुसार यह देश चले तो इस देश में सबका कल्याण होगा, सबका विकास होगा और यह देश परम् वैभव को प्राप्त करेगा।
एक ऐसा संविधान जिसे पाने, बनाने के लिए आतताई अंग्रजों से बड़ी लड़ाई लड़ी गयी, लाखों लोग शहीद हुए, जिनमें से बहुत कम को ही हम जानते हैं और याद करते हैं।
देश के लिए कुर्बान होने वाले उन भारत रत्नों ने 1947 में देश को आजाद कराया और देश को आजादी दिलाने वाले व आम जनमानस के प्रतिनिधि देश के भाग्यविधाताओं ने 1950 में देश को एक खूबसूरत संविधान दिया।
एक ऐसा संविधान जिसमें पूरे राष्ट्र कल्याण की कल्पना की गई है और अनेक ऐसे कानून हैं जिनके प्रभाव में देश एक अनुशासन में फल-फूल सकेगा।
15 अगस्त और 26 जनवरी इस देश के लिए महापर्व हैं और पूरा देश बड़े धूम धाम से इस त्यौहार को मनाता है और उन महापुरुषों को याद करता है जिन्होंने एक मजबूत भारत का निर्माण किया। 

बच्चों के हाँथों में तिरंगा, सीने पर तिरंगे व अशोक चक्र का बिल्ला, सिर पर तिरंगे वाली टोपी तो सबके मोबाइल में शुभकामनाओं के मैसेज, व्हाट्सएप-फेसबुक में देश भक्ति से ओतप्रोत स्टेटस, सच में यह दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है पूरे देश के लिए।



किन्तु क्या हमारी देशभक्ति इतने से पूर्ण हो जाती है? 
क्या इन त्योहारों को धूम-धाम से माना लेने से, भारत मां के जयकारे लगा लेने से हम सच्चे देश भक्त हो जाएंगे?
या इन सबको सोशल मीडिया पर 10 लोगों को शेयर करके हम सच्चे देशभक्त हो जाएंगे?
नहीं।
अगर आपके सामने नल खुला है तो बन्द करना, नदी- तलाब की सुरक्षा, उसके जल को प्रदूषित न करना, ज्यादा से ज्यादा वृक्षारोपण, पेड़ बहुत मजबूरी में ही काटें, जानवरों की सुरक्षा, पहाड़ों-पर्वतों, खनिज पदार्थों आदि की चिंता व उसका सुरक्षा करना।
मतलब देशभक्ति सिर्फ 26 जनवरी, 15 अगस्त पर नहीं बल्कि देश के कण-कण से प्यार, व उसकी चिंता पूरे साल, जीवन पर्यंत करना और दूसरों को भी जागरूक करना जिससे एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण हो सके।
यदि देश का प्रत्येक नागरिक यह सुनिश्चित करे, यह संकल्प ले कि देश की हर संपदा के उपयोग के साथ उसकी रक्षा भी उसका कर्तव्य है। प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कम से कम करें, सबके कल्याण की भावना रखें, तो वही सच्ची देशभक्ति है।

जल, जंगल, जमीन, जानवर सबकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब की है, ताकि अपने आने वाले भविष्य, संतानों को एक स्वस्थ, संम्पन, खुशहाल देश सौंप सकें।

जरूरी नहीं की सिर्फ भारत मां के जयकारे लगाने वाला ही देशभक्त है किन्तु अपनी मां के अभिवादन में हमको लज्जा नहीं आनी चाहिए, और उसका सम्मान दिखावा नहीं हमारा फर्ज है।

भारत माता की जय, जय हिन्द

अंकित मिश्र चंचल

Comments

  1. बहुत बड़ा संदेश व जनमानस को लेकर प्रभावपूर्ण लेख....

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