Posts

Showing posts from 2018

आजादी के 70 साल बाद भी बाल मजदूर और भीख मांगता बचपन

Image
सवेरे सवेरे यारों से मिलने बन ठन के निकले हम सवेरे सवेरे यारों से मिलने घर से दूर चलें हम रोके से न रुके हम, मर्जी से चलें हम बादल सा गरजें हम, सावन सा बरसे हम  सूरज सा चमकें हम, स्कूल चलें हम। जी हाँ ये वही गाना है जिसे हम बचपन दूरदर्शन पर सुना करते थे, 2001 की  अटल बिहारी बाजपेई की सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान योजना लॉन्च की थी। उसी अभियान के तहत यह खूबसूरत गाना पूरे देश में चलाया गया। इस गाने में बच्चे सज धज के स्कूल की ओर भागते हैं, प्राइमरी स्कूलों की दीवालों पर सर्वशिक्षा अभियान, सब पढ़ें सब बढ़ें का लोगो बनाया गया।  इस लोगो में एक बालक और बालिका दिखते थे, पेंसिल पर बैठे हुए। वास्तव में काफी जारूकता भी लोगों में आई, साक्षरता भी  बढ़ी किन्तुु उस अभियान को भी देखते-देखते 18 वर्ष बीत चुके हैं। यह अभियान आज भी निरंतर चल रहा है किन्तु भारत के बचपन की एक दूसरी तस्वीर भी है।  जी हाँ आज भी भारत में बचपन की एक ऐसी भी तस्वीर है जहां बचपना पढ़ाई नहीं करता, जहां बचपना खेलता भी नहीं, जहां बच्चे का कोई भी पढ़ने-लिखने वाला दोस्त नहीं। जी हां देश में एक एसा बचपन...

संचार के मॉडल (COMMUNICATION MODEL)

Image
लाखों साल पहले जीव की उत्पत्ति के साथ ही संचार की शुरुआत मानी जाती है।हम कह सकते हैं कि आज मानव का जो विकसित रूप है वह बिना संचार के सम्भव न था।संचार की प्रक्रिया का अध्ययन एक विज्ञान है। संचार की प्रक्रिया और इससे जुड़े कई सिद्धांत की जानकारी हमें प्राचीन ग्रथों से मिलती है। लेकिन उन जानकारियों पर और अध्ययन की आवश्‍यकता है। अरस्तू की व्याख्या के आधार पर कुछ विद्वानों ने संचार के सबसे पुराने मॉडल को बनाने की कोशिश की है।संचार की प्रक्रिया को बताने वाला चित्र मॉडल कहलाता है। इन मॉडलों से हमें संचार की गतिशील और सक्रिय प्रक्रिया समझने में आसानी होती है। ये संचार के सिद्धांत और इसके तत्वों के बारे में भी बताते हैं। अरस्तू के अनुसार संचार की प्रक्रिया रेखीय है। रेखीय का अर्थ है एक सीधी लाईन में चलना। प्रेशक श्रोता को संदेश भेजता है जिससे उस पर एक प्रभाव उत्पन्न होता है। हर अवसर के लिए संदेश अलग-अलग होते हैं। अरस्तू के अनुसार संचार का मुख्य उद्देष्य है श्रोता पर प्रभाव उत्पन्न करना। इसके लिए प्रेषक विभिन्न अवसरों के अनुसार अपने संदेश बनाता है और उन्हें श्रोता तक पहुंचाता है जिससे कि उन...

निठल्ला युवा व्यस्तता भारी, जाने अनजाने में खुद से ही गद्दारी

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर ....जय हनुमान...जय हनुमान... हनुमान चालीसा जोर जोर से पढ़ा जा रहा था, भजन में मस्त था तभी पिछवाड़े पर एक लात पड़ा और बिस्तर से नीचे जा गिरा भक्त, सपने से जग गया। अबे कब से अलार्म बज रहा है! नहीं उठना रहता क्यों लगाता है दूसरे की भी नींद खराब करता है! कब से चिल्ला रहा है तेरा फोन कहकर किसी तरह मूत्रालय गया फिर दोनों घुस गए रजाई में। रजाई में ही धुँआ-धुँआ किए जा रहे लेकिन नींद है कि खुलने का नाम नहीं ले रही है। साला आज फिर क्लास छूट गया बुदबुदाते हुए अचानक दिव्य उठा और शौचालय की ओर जोर से भाग गया फिर एक जोर से आवाज आई और भक्त की भी आंख खुल गयी। 10:30 बज चुके थे। अबे जल्दी करके निकल आज फिर बहुत देर हो गई, 3 क्लास छूट गया! जा दूध ला चाय बनाता हूँ शौचालय से आवाज आई। दोनों के नित्य क्रिया होते चाय पीते 11:10 हो चुके थे और अब तो 12 वाली ही एक क्लास मिल सकती थी। पड़ोस के सहपाठी मिश्रा को फोन किया गया। भाई मैं गर्म पानी पी रहा हूँ, ठंडी में उतरती नहीं बिना पानी पिए! कहकर मिश्रा भी शौच को चल दिया। अतः ध्वनि मत से तीनों ने रात जल्दी सोने और कल कॉलेज जाने का नि...

जनआंदोलन ही मार्ग प्रसस्त करेगा राम मंदिर का

सौंगन्ध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनाएंगे किंतु तारीख नहीं बताएंगे। दरअसल तारीख बताएगा कौन ? क्या किसी के सोच लेने से ,चाह लेने से मन्दिर बन जाएगा वो भी जिस तारीख पर चाहेगा ? एक लोकतांत्रिक देश में कोई भी कार्य लोकतांत्रिक तरीके से ही संम्पन हो तो ही वह कार्य सफल माना जाता है और जब तक राम मन्दिर का मुद्दा सर्वोच्च न्यायालय में है तो देश का कोई भी संगठन या पार्टी कैसे तारीख बता सकता है। देश का एक एसा भी वर्ग है जो नहीं चाहता कि अयोध्या में कोई राम मंदिर बने और उसका लाभ बीजेपी को मिले भले ही वह हिंदू है। किन्तु न्याय तो न्याय होता है और अगर देश का न्यायालय ही न्याय न देकर तुष्टिकरण की बात सोचने लगे तो यह भी लोकतंत्र का अपमान है और अभी ऐसा ही हुआ।जिस न्यायालय से हिन्दू समाज को अभी तक उम्मीद थी कि कोर्ट 2010 से लंबित राम जन्मभूमि का विवाद हल करेगा, वह कोर्ट 2 मिनट के लिए चलाई जाती है और जज साहब इस मुद्दे को यह कहकर जनवरी तक टाल देते हैं कि राम मन्दिर का मुद्दा उनकी प्राथमिकता में नहीं है। क्या समलैंगिकता,497,सबरीमाला जैसे मुद्दे ही कोर्ट की प्रथमिकता में हैं ?क्या कोर्ट ने भी हिन्दू स...

प्रयागराज से इलाहाबाद और प्रयागराज तक

भारत का तीर्थस्थल देवभूमि प्रयाग जिसे त्रिवेणी नाम से भी जाना जाता है और ये बताता है कि यहां तीन नदियों का संगम है। वह पुण्यभूमि जहाँ कभी भारद्वाज ऋषि का आश्रम था, अत्रि मुनि और अनुसुइया का निवासस्थल तथा जहाँ अक्षय वट वृक्ष है। यहीं आदिशंकराचार्य से शास्त्रार्थ के बाद कुमारिल भट्ट ने प्रायश्चित किया। यहीं नागवासुकी और तक्षक नागों के मंदिर हैं। यहीं करीब सवा चार सौ साल पहले बना अकबर का किला है और यहीं से अंग्रेजों ने उत्तर भारत पर शासन किया। अब जब अकबर की बात आती है तो अकबर ने ही इस पुण्यभूमि को इलाहाबाद का नाम दिया और इस नाम देश विदेश में बड़ी पहचान मिली किन्तु आज लगभग 443 वर्षों बाद भी इसको पुराने पहचान प्रयागराज को कोई नहीं भूला । समय का चक्र फिर से घूमा और मुगलों,अंग्रेजों,कांग्रेस के बाद एक बार फिर से देश में हिंदुत्ववादी सत्ता आयी और खासकर up में एक सन्यासी को सत्ता की कमान मिली । अब यह शहर एक बार फिर विश्वभर में चर्चित हो गया क्योंकि यह पुनः अपने पुराने नाम से जाना जाएगा,इसका नाम फिर से प्रयागराज कर दिया गया है। ज्यादातर लोगों का मानना है कि शहर को उसका पुराना गौरव प्राप्त ह...

आखिर rss और bjp को क्यों हो गया आरक्षण से प्रेम

अभी हाल में ही दिल्ली में संघ द्वारा आयोजित तीन दिवसीय भारत के भविष्य कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने देश के कई प्रमुख विषयों पर अपना पक्ष रखा जिसमें आरक्षण जैसे प्...

Sc/st act एक गंभीर विषय

देश की आजादी के बाद नीति निर्माताओं ने संविधान बनाते समय आने वाले भारत की स्थिति के बारे में गहन चिंतन,मनन के बाद अनेक नियमों कानूनों से संविधान को परिपूर्ण किया ।जिसके माध्यम से यह कल्पना की गयी की देश के हर तबके को अपना सर्वांगीण विकाश करने का अवसर मिलेगा।कोई अछूता न होगा,कोई नीच न होगा ,कोई स्त्री किसी किसी पुरुष द्वारा सताई न जाएगी ,कोई गरीब बिना खाये नहीं मरेगा,बच्चा बच्चा विद्यालय जाएगा देश का हर स्तर पर विकाश होगा और सबको बराबर न्याय मिलेगा ,कुलमिलाकर एक मजबूत /स्वस्थ/खुशहाल भारत का निर्माण होगा ।इसी संविधान में देश के हर नागरिक को बराबर का हक दिया गया और दबे, कुचले,पिछड़े लोगों के लिए अलग से आरक्षण का प्रावधान किया गया जिससे ये भी विकास की मुख्य धारा में आ सकें क्योंकि पूरा देश अपना समाज है और देश में कोई भी दुःखी रहेगा तो हमको दुःख होना चाहिए । संविधान बना सारे नियम कानून लागू किये गए किन्तु यह भारतीय लोकतंत्र/कानून की असफलता ही माना जाएगा कि 1955 के 'प्रोटेक्शन आफ सिविल राइट्स एक्ट' के बावजूद सालों तक दलितों पर होने वाले अत्याचार और अश्पृश्यता खत्म न हुई अतः ये देखते ह...

कुम्भ नगरी प्रयागराज: एक स्वर्णिम इतिहास

Image
इलाहाबाद का नाम ही अपने आप में बहुत बड़ा परिचय है जिसे भारत ही नहीं पूरे विश्व में पहचान मिली है। अब तो इसने अपना पुराना गौरव विश्व सांस्कृतिक धरोहर प्रयागराज के रूप में भी प्राप्त कर लिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसका नाम पुनः प्रयागराज रख दिया । हालांकि इलाहाबाद के रूप में भी इसने भारतवर्ष को बहुत कुछ दिया और विश्व में अपना स्थान स्थापित किया। कुंभ नगरी/संगम नगरी/ प्रधानमंत्रियों का शहर/ आदि नामों से जाना जाने वाला इलाहाबाद उत्तर प्रदेश ही नहीं अपितु पूरे भारत वर्ष की राजनीति में अपना विशेष स्थान रखता है । अनेक बड़े क्रांतिकारी नेता यहाँ से निकले जिन्होंने विभिन्न पार्टियों ,संगठनों में अपना प्रमुख स्थान बनाया है। यह क्षेत्र पूर्व से मौर्य  एवं गुप्त साम्राज्य के अंश एवं पश्चिम से कुषाण साम्राज्य का अंश रहा है। बाद में ये कन्नौज साम्राज्य में आया। 1526 में मुगलों के भारत पर पुनराक्रमण के बाद से इलाहाबाद मुगलों के अधीन आया। अकबर ने यहां संगम के घाट पर एक वृहद किले निर्माण करवाया था। इस किले में 93 महर, 3 झरोखा,25 दर...

धर्मनिरपेक्ष बापू ने भी चखा मुश्लिम कट्टरता का स्वाद,मौलाना मोहम्मदअली ने दिया जख्म

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के माहनायक तिलक के बाद गाँधी के युग का पदार्पण हुआ और वास्तव में गाँधी ने पूरे देश में अद्भुत समर्थन प्राप्त किया ।देश का बड़े से बड़ा नेता गाँधी ज...